जन गण मण का
राग बहता है लहू में,
वंदे मातरम् का गान होता है
मन मंदिर में ।।

तिरंगा लहरता हैं
मन मस्तिष्क में,
अशोक चक्र घूमता है
ह्रदय के गति में ।।

तूम पुछते हो जब मैं कौन?
याद आता अशफ़ाक मुझे
कहते थे जो
बिस्मिल मेरा भाई है
भारत मेरी माई है ।।

न पुछ मेरा धर्म
मेरे लहू का जान मर्म,
न पुछ मेरी जाति
तू सून मेरी ह्रदय गति ।।

भगत, सुखदेव, राजगुरु
के राग है हम
आजाद के अनुराग है हम ।।

सुभाष के विश्वास,
पटेल के आस है हम
माँ भारती के
एक से बढ़कर एक सपूत है हम ।।

#अनंत

Hindi Shayri by Anant Dhish Aman : 111780632
Ghanshyam Patel 2 years ago

Happy Republic Day Jay Hind 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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