#_Na_Hamare_The_Na_Hamare_Huye_

ना हमारे थे न हमारे हुए ,
बस ज़िद थी हमको ,
उनके प्यार में ख़ुद को ,
बस बर्बाद करने की ,

कभी लगता था हमको ,
शायद खुशनसीब हैं ,
मिला कोई चाहने वाला ,
पर हम बदनसीब हैं ,

छोड़ो ख़ैर हमारी बातें ,
उनकी बातों पर गौर करो ,
आज बहुत दिन बाद हुई ,
दिल कहता है और करो ,

कहती तुमसे प्यार नहीं पर ,
बातें करना अच्छा लगता है ,
बातों से भी जादा ये तुम्हारा ,
समझाना अच्छा लगता है ,

अजब प्यार का गजब खेल है ,
खुद को चालाक समझते थे ,
वक़्त ने वक़्त पे आ कह दिया ,
तुम बेवजह ही भटकते थे ,

उसने भी फिर हाल सुनाया ,
प्रिय आशिक़ का अपने ,
बोली उसको ये समझाना है ,
आते हैं बस उसके सपने ,

बहुत ख़ुश हुई मुझे बताकर ,
अपनी प्रेम कहानी को ,
कैसे फिर सुरुआत हुई थी ,
भेजा न्यौता जवानी को ,

एक वर्ष तक नयन मिले थे ,
तब वसंत , ऋतु से मिल पाया ,
आया मौसम ऋतु वसंत का ,
प्यार का पौधा खिल पाया ,

भ्रमर मचल गया कुमुदनी पर,
बोला तुम संग जीना है ,
मैं रहूं सदा तेरा होकर अब ,
न ज़हर जुदाई का पीना है ,

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Hindi Blog by Poetry Of SJT : 111374714

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