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मज़हब Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful मज़हब quote can lift spirits and rekindle determination. मज़हब Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.
महाभारत का युद्ध होने से पहले कृष्ण भी गए थे दुर्योधन के दरबार में, यह प्रस्ताव लेकर, कि हम युद्ध नहीं चाहते....
तुम पूरा राज्य रखो.... पाँडवों को सिर्फ पाँच गाँव दे दो...
वे चैन से रह लेंगे, तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे !
बेटे ने पूछा - "पर इतना unreasonable proposal लेकर कृष्ण गए ही क्यों थे ?
अगर दुर्योधन प्रोपोजल एक्सेप्ट कर लेता तो..?
पिता :- नहीं करता....!
कृष्ण को पता था कि वह प्रोपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगा...
उसके मूल चरित्र के विरुद्ध था !
फिर कृष्ण ऐसा प्रोपोजल लेकर गए ही क्यों थे..?
वे तो सिर्फ यह सिद्ध करने गए थे कि दुर्योधन कितना अनरीजनेबल, कितना अन्यायी था !
वे पाँडवों को सिर्फ यह दिखाने गए थे,
कि देख लो बेटा...
युद्ध तो तुमको लड़ना ही होगा... हर हाल में...
अब भी कोई शंका है तो निकाल दो....मन से...!
तुम कितना भी संतोषी हो जाओ,
कितना भी चाहो कि "घर में चैन से बैठूँ "...
दुर्योधन तुमसे हर हाल में लड़ेगा ही लड़ेगा !!
"लड़ना.... या ना लड़ना" - तुम्हारा ऑप्शन है ही नहीं ..."
फिर भी बेचारे अर्जुन को आखिर तक शंका रही...
"सब अपने ही तो बंधु बांधव हैं...."😞
कृष्ण ने सत्रह अध्याय तक फंडा दिया...फिर भी अर्जुन को शंका थी..
ज्यादा अक्ल वालों को ही ज्यादा शंका होती है ना !!!😄
दुर्योधन को कभी शंका नहीं थी...
उसे हमेशां पता था कि "उसे युद्ध करना ही करना है... "उसने गणित लगा रखा था....
हिन्दुओं को भी समझ लेना होगा कि :-
"कन्फ्लिक्ट होगा या नहीं,
यह आपका ऑप्शन है ही #नहीं ...
आपने तो पाँच गाँव का प्रोपोजल भी देकर देख लिया...
देश के तीन टुकड़े मंजूर कर लिए,
(वहाँ से भी हिंदू खदेड़ा गया अपनी जमीन जायदाद ज्यों की त्यों छोड़कर....)
हर बात पर #विशेषाधिकार देकर देख लिया....
हज के लिए सबसीडी देकर देख ली,
उनके लिए अलग मुस्लिम पर्सनल लॉ बना के देख लिया...
उनके लिए अलग नियम
कानून (धारा 370 और 35A) बनवा कर देख लिए...
"आप चाहे जो कर लीजिए, उनकी माँगें नहीं रुकने वाली"
उन्हें सबसे स्वादिष्ट उसी #गौमाता का माँस लगेगा जो आपके लिए पवित्र है,
उसके बिना उन्हें भयानक कुपोषण हो रहा है...
उन्हें "सबसे प्यारी" वही मस्जिदें हैं,
जो हजारों साल पुराने "आपके" ऐतिहासिक मंदिरों को तोड़ कर बनी हैं....
उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी उसी आवाज से है
जो मंदिरों की घंटियों और पूजा-पंडालों से है...
ये माँगें #गाय को काटने तक नहीं रुकेंगी...
यह समस्या मंदिरों तक नहीं रहने वाली,
यह हमारे घर तक आने वाली है...
हमारी #बहू_बेटियों तक जाने वाली है...
आज का तर्क है :-
तुम्हें गाय इतनी प्यारी है तो "सड़कों पर क्यों घूम रही है" ?
हम तो काट कर खाएँगे....
हमारे मजहब में लिखा है !
कल कहेंगे,
"तुम्हारी बेटी की इतनी इज्जत है तो वह अपना खूबसूरत चेहरा ढके बिना घर से निकलती ही क्यों है" ?
हम तो बलात्कार करेंगे, हम उन्हें उठा कर ले जाएँगे..."
उन्हें समस्या गाय से नहीं है,
हमारे "अस्तित्व" से है..
तुम जब तक हो,
उन्हें कुछ ना कुछ प्रॉब्लम रहेगी...
इसलिए हे अर्जुन,
और डाउट मत पालो...
कृष्ण घंटे भर की क्लास बार-बार नहीं लगाते..
25 साल पहले कश्मीरी हिन्दुओं का सब कुछ छिन गया..... वे शरणार्थी कैंपों में रहे, पर फिर भी वे आतंकवादी नहीं बनते....
जबकि कश्मीरी मुस्लिमों को सब कुछ दिया गया....
वे फिर भी आतंकवादी बन कर जन्नत को जहन्नुम बना रहे हैं ।
बाढ़ में सेना के जवानों ने जिनकी जानें बचाई वो उन्हीं जवानों को पत्थरों से कुचल डालने पर आमादा हैं....
इसे ही कहते हैं संस्कार.....
ये अंतर है #धर्म " और #मजहब " में..!!
एक जमाना था जब लोग मामूली चोर के जनाजे में शामिल होना भी शर्मिंदगी समझते थे....
और एक ये गद्दार और देशद्रोही लोग हैं जो खुले आम... पूरी बेशर्मी से एक आतंकवादी के जनाजे में शामिल हैं..!
-
सन्देश साफ़ है,,,
एक कौम,
देश और तमाम दूसरी कौमों के खिलाफ युद्ध छेड़ चुकी है....
अब भी अगर आपको नहीं दिखता है तो...
यकीनन आप अंधे हैं !
या फिर शत-प्रतिशत देश के गद्दार..!!
आज तक हिंदुओं ने किसी को हज पर जाने से नहीं रोका...
लेकिन हमारी अमरनाथ यात्रा हर साल बाधित होती है !
फिर भी हम ही असहिष्णु हैं.....?
ये तो कमाल की धर्मनिरपेक्षता है भाई !!
हिन्दुओं गहरी नींद से जाग जाओ, नहीं तो सोये सोये ही मारे जाओगे...
मैंने आपको सत्य से अवगत कराने का छोटा सा प्रयास किया है
-મહેશ ઠાકર
#मजहब ...(सबका मालिक एक है)...✨
लघुकथा
#मज़हब
ऑफिस से आकर अभी कपड़े बदल ही रहा था कि बाहर से आती आवाज़ ने अशरफ को दरवाजा खोलने पर मजबूर कर दिया। बाहर निकला तो सामने रहीम चचा थे।
"अस्सलाम ओ अलैकुम चचाजान! आइये बैठिये न!"
"अलैकुम ओ अस्सलाम। उठना-बैठना तो होता ही रहेगा। तुम ज़रा अपनी बेगम का ख्याल रखा करो।" चचा ने राजदार अंदाज़ में अशरफ की आँखों में सीधे झाँकते हुए कहा।
" अरे! क्या हुआ चचाजान! बताइए तो सही।"
"मोहतरमा आज बेटे को काफिरों के भगवान के वेश में सरे-बाजार घुमा रही थीं।"
"तो इसमें कौन सी बड़ी बात हो गयी?"
"लाहौल बिला कुव्वत! यह हमारे मज़हब के लिये ठीक नहीं है।"
"आपके पोते रेहान मियाँ का जन्म भी संयोग से मथुरा में ही हुआ था। जब हॉस्पिटल में उसे खून की सख्त जरूरत थी तो कोई अंजान काफ़िर ही खून दे गया था। आप उम्रदराज हैं, आपको तो नफरत से बचना चाहिए।"
"जनाब! दोनो अलग-अलग बातें हैं।"
"चचा, जावेद भाई के जद्दा जाने से पहले आप को भी दुर्गा मेला में बाँसुरी बजाते खूब देखा है।"
"नासमझ हो तुम! क्या तुम्हें नहीं लगता कि हमारे मज़हब को कमजोर करने की साजिश हो रही है?
"कृष्ण भगवान के रूप में बच्चे को सजाने से, होली और ईद साथ-साथ मनाने से, छठ पूजा का प्रसाद खाने से आपका मज़हब कमजोर होता होगा, हमारा नहीं!"
"या अल्लाह! इस नाचीज़ पर रहम कर!"
"चचा,अल्लाह को बीच में मत लाइये। मज़हब आपका कमजोर हो रहा है, अल्लाह का नहीं। अल्लाह आपको सलामत रखे। तशरीफ़ ले जाइये....!"
©मृणाल आशुतोष
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