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मिट्टी Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful मिट्टी quote can lift spirits and rekindle determination. मिट्टी Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.
#मिट्टी की
देश के मिट्टी की सौगंद
देश को
ज़ुकने नही देंगे ।
कोई है जो हमें बता सके कि सांसारिक जीवन से मुक्ति का कौन सा मार्ग सर्वोत्तम होगा। हम-आप इस तरह कब तक जीवन और मृत्यु के रंग में उलझे रहेंगे।कभी-कभी सोचता हूं कि हम सभी मनुष्य आखिर जीवन में क्या बदलाव चाहते है, क्यो संसार के अन्य जीव-जंतुओं वृक्षों लताओं पशु-पंक्षियो सागर जंगल जमीन पर्वत पहाड़ पठार का अतिशय विनाश करने की कवायद तेज हो गई है।यही सोच कर देख कर संसार से विरक्ति होने लगती है। सामाजिक जीवन पारिवारिक जीवन से मुक्ति पाने का मन करता है कि कहीं दूर जाऊं एकांत में अपने चित्त को एकाग्र करने का पूरा प्रयास करूं, मैंने संसार में बहुत से ऐसे लोगों को देखा है जो लोभ लालच लिप्सा धन दौलत घर परिवार के लिए क्या कैसे करें जिससे उनके घर परिवार इष्ट मित्र ही सुख समृद्धि के साथ जीवन यापन कर सके,बस इसके लिए परेशान रहते हैं।लेकिन मैंने कभी उनको मानवता या इंसानियत के लिए,करुणा प्रेम भाईचारा के लिए इतना ज्यादा उतावलापन नहीं देखा। मेरा कहने का आशय मात्र इतना है कि हम आखिर इंसान कब हो पाएंगे?क्या हम हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध पारसी जैन जातियों धर्मों में बटे रहेंगे? आखिर हम कब सोचेंगे कि हम सब इंसान हैं।हम सबको इंसानियत का धर्म मानकर उसके लिए काम करने की आवश्यकता है और सबको समता समानता हक हिस्सा में बराबरी का दर्जा मिले इसी को हम सब अपना मिशन बनाएं और अपने मिशन को कामयाब करने के लिए चुप्पी तोड़ने का काम करे।एक दूसरे से संवाद स्थापित करें एक दूसरे के सुख दुख में भागीदारी करें तभी यह संभव है कि हम सब मिलकर एक सुंदर संसार का पुनर्निर्माण कर सकते हैं। आज देखिए कहने को तो बहुत कुछ है जल की कमी हो रही है पर्यावरण का बहुत भारी नुकसान हो रहा है गर्मी तो मानो इस तरह से बढ़ रही है कि आने वाले समय में लोग अपने आप स्वत: ही जल जाया करेंगे। पेड़-पौधे पशु-पक्षी सब अस्त-व्यस्त त्रस्त हैं उनको भी जीवन जीने के लिए खुलापन का एक स्थान चाहिए जहां वे अपने जीवन को जी सकें।लेकिन हम मनुष्यों ने उनके उस स्थान को भी कब्जाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है।हमने उनके लिए कहीं कोई स्थान नहीं छोड़ा जहां वे जी सके, रह सके चहचहा सकें उनकी भाषा बोली गीत संगीत की तरह संसार के मनुष्यो के मन मस्तिष्क को झकझोर सके।
उससे एक आवाज निकले बचाना होगा प्रकृति को खुद को और सभी को।
#मिट्टी #-------------------09984563563
जय हिंद जय भारत।
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