निपट Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

निपट Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful निपट quote can lift spirits and rekindle determination. निपट Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

निपट bites

#Moral Stories
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#दीवार पर टंगी #पिता की #तस्वीर______
आज पिता को गुजरे पूरा एक महीना हो चुका है।चलो सब #कार्य #अच्छी तरह से #निपट चुका है। अब मैं भी, पत्नी को साथ लेकर, कहीं #तीर्थाटन के लिए जाने की सोच रहा हूं। चलो एक दायित्व पूर्ण हुआ, #दायित्व ही तो है। मैं मन ही मन अपनी #काबिलियत पर खुश हूं, एक जिम्मेदारी को बहुत ही #जिम्मेदारी से निभाया। कहीं मन ही मन बहुत खुश होता हूं, जब कोई मेरी प्रशंसा करते हैं, स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूं, अपने #अहम में डूबा हुआ। कोई रिश्तेदार, बहन, भाई कुछ कहते, कभी याद करते, या रोते हैं, तो उन्हें मैं बड़ी सफाई से गीता का #ज्ञान देकर चुप करा देता हूं। सही ही तो है, सबको एक दिन जाना है, इसमें नया क्या है?? सब मेहमान भी विदा हो चुके हैं। दिनचर्या #पटरी पर #लौट रही है। फिर भी बहुत #व्यस्त चल रहा है। पिता की कुछ जमापूंजी, पैसे, गहने, कागजात और भी जो कुछ है, मेरा ही तो होगा। इस से आगे कभी सोच ही नहीं पाया। लेकिन इस व्यस्तता के बाद, अब कुछ वीरानगी, कमी सी महसूस होने लगी है कई बार।खासतौर पर ऑफिस से लौटते वक्त,जैसे पापा की आंखे बस मेरा ही इंतजार कर रही होती थी,कई बार मैं #झुंझला भी जाता था, क्यों करते रहते हो मेरा इंतजार?? पापा कहते जब नहीं रहूंगा तब समझोगे। #सही कहा था। सब की अपनी दिनचर्या है, बच्चे अपनी पढ़ाई में व्यस्त, पत्नी अपने घर के काम, बाहर, सहेलियों, मंदिर आदि में। अब सब #याद आ रहा है। जब मैं ऑफिस या बाहर जाता तो हमेशा पिता के #पैर छूकर ही जाता था। पिता भी हमेशा सिर पर हाथ रख #आशीर्वाद देते थे। कुछ खाया कि नहीं, जब कि उनको पता होता था, कि मैं नाश्ता कर चुका हूं फिर भी उनकी अपनी तसल्ली के लिए। फिर ये कहना,बेटा जब भी घर से निकलो, खाकर निकलो। #घर #खीर तो बाहर खीर। शाम को दीवान पर बैठे मेरा इंतजार करना, मेरे आने पर ही सबके साथ पानी तथा चाय का पीते हुए पूरे दिन की बातें सुनकर अकेले घूमने निकल जाना।
#लेकिन इन कुछ दिनों से, #अपने #अंदर मैं अपने #पिता को #पुनः #जीवित होते देख रहा हूं। उसी दीवान पर बच्चों के बाहर जाते समय वैसे ही टोकना, आते ही सारी बातें समझाना, रात को सोते समय बेटे की छाती पर रखी किताब को हटाकर धीरे से चादर को #ओढ़ा देना। हां, सच में तो #मैं अब पिता बनता जा रहा हूं। हां पापा, मैं आपको बहुत #मिस कर रहा हूं। और अब जब भी मैं दीवार पर टंगी अपने पिता की तस्वीर देखता हूं, तो ना जाने क्यूं #फिर से छोटा #बच्चा बन जाता हूं। और नहीं भूलता, उनको #प्रणाम करना। लगता है जैसे कह रहे हों, कुछ खाया कि नहीं। घर खीर तो बाहर खीर। पत्नी पूछती है,क्या हुआ?? उसे क्या #समझाऊं ये मेरे और पापा के #बीच की बात है। शायद हर बार वो दीवार पर #टंगी #तस्वीर मुझसे ऐसे ही #वार्तालाप करती है, सबकी #नजरों से #इतर