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काव्योत्सव२ Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful काव्योत्सव२ quote can lift spirits and rekindle determination. काव्योत्सव२ Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.
#kavyotsav2 #काव्योत्सव2
**खिड़की से बाहर**
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याद है मुझे
तुमने कहा था
जब झांकोगी ज़रा
खिड़की से बाहर ..
तो बहती हवा में
सुनोगी मेरी आवाज़
चहकते पंछी गुनगुना रहे होंगे वो गीत
जो गाया था हम दोनों ने एक साथ
ढलती शाम में..
खिड़की से देखना
पेड़ों की डालियों पर
हौले से हिलती पत्तियां
सहलाएंगी तुम्हारे बाल
जैसे मेरी उंगलियां किया करती थी
तुम्हारी लटें ठीक
और तुम सो जाती थी
मेरे हाथों का स्पर्श पाते ही...
खिड़की से बाहर
ज़रा ऊपर की ओर देखोगी
तो चाँद हँसाएगा तुम्हें
तरह तरह के चेहरे बना
जैसे मैं बन जाता था
कभी जोकर तो कभी बंदर तुम्हारे लिए...
खिड़की से दिखता
नीले आसमान का दोशाला
महसूस करना अपने कंधे पर
जो हवा के सर्द होते ही
पहना देता था मैं तुम्हें
अपनी बाहों के साथ....
सब याद है मुझे
कुछ भी नहीं भूली मैं
चलती होगी हवा भी
गाते होंगे पंछी भी
हिलती ही होंगी पत्तियां भी
पर मैं खुद ही सो जाती हूँ अब
चांद भी ज़रूर बनाता होगा चेहरे
आसमान जाने नीला है या स्याह...
नहीं मालूम
याद तो है मुझे
सब याद है...
लेकिन
तुम्हारे जाने के बाद
कैद हो गई हूं
दिल के जिस तहख़ाने में
बस
वहां कोई खिड़की नहीं है
वहां कोई खिड़की ही नहीं है....
#अंजलि सिफ़र
#काव्योत्सव2 #kavyotsav2 #poetry #कविता
**हाथ भर की दूरी**
कहाँ गई हूँ मैं
कहीं भी तो नहीं
यहीं हूँ
तुम्हारे पास...
ज़रा आंखे मूंद कर देखो
हाथ भर की ही दूरी होगी
हवा चल रही है क्या
सुनो कुछ कह रही होगी
जो मैंने कहा तुमसे
दिल ही दिल में
सुन लिया था उसने...
न
मत ठीक करना ये बाल
जो माथे पर गिराए हैं
हवा ने
मेरे ही तो कहने से
हाँ,अभी सहलाया था मैंने ही
वो तुम्हारी उंगली पर बना
हमारे प्यार की निशानी के
छल्ले का निशान
हौले हौले
हवा बन के ही तो
क्या...
होंठो पर महसूस हुई है
कुछ हरारत तुमको
धत्त...
वो मैं नहीं
गुज़रती हवा ने छुआ होगा तुम्हें
मैं तो हाथ भर की दूरी पर हूँ न...
बस फैला कर देखो बाहें
मैं दौड़ कर आ जाऊंगी
एक एहसास ही तो हूँ
तुम्हारे भीतर समा जाऊंगी
क्योंकि
वहीं तो हूँ मैं
तुम्हारे पास
हाथ भर की दूरी पर...
#अंजलि सिफ़र
#kavyotsav2 #काव्योत्सव2 #कविता
जब पहली बार
************
जब पहली बार
लोगे तुम
मेरा हाथ
अपने हाथ में
वो काँपेगा पल भर को
तुम पर.. संदेह से नहीं,
रुमानियत से उपजी ..
सिहरन से भी नहीं,
शायद ख़ुद को मिलने वाले
उस असीम सुख पर
शक़ की होगी वो कम्पन..
तुम झटकना नहीं
भींच लेना उसे
अपनी मुट्ठी में ,
हौले हौले
प्रतिकार त्याग चुका मेरा हाथ
सौंप देगा ख़ुद को
जब पूरी तरह से
तुम्हारी उंगलियों की जकड़न को
तब
तुम्हारे छोड़ने पर भी
नहीं छूटेगी.. वो गरमाहट
रहेगी वहीं,
हम दोनों की हथेलियों के बीच
हमारे जुदा होने के बाद भी
क्योंकि
सपना हो तुम
तुम्हें तो टूटना ही है
©अंजलि सिफ़र
चट्टान #काव्योत्सव2 #kavyotsav2 # भावनाप्रधान #कविता
चट्टान
वो चट्टान थी
उसे दिखना ही था मज़बूत
जाने कितने तूफानों और
दरियाओं के वेग को
आत्मसात करना था उसे
सो दिखाती रही खुद को
अडिग , निश्चल
मगर भीतर कहीं उसे भी था इंतज़ार
" एक पत्थर " से " अहिल्या " हो जाने का
शायद
हर चट्टान की तरह ...........
@अंजलि 'सिफ़र'
आयुष्याच जगणं...ऐक कसरत तारेवरची
#काव्योत्सव२ .० #मराठी #maraathikavita #kavyotsav2
#life #happiness #lifestyle #poems #writinglove #marathi
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