Blog quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.
अधूरी मोहब्बत: राजू और पूजा की प्रेम कहानी
प्रेम की अनकही शुरुआत
मधुबनी जिले के खजौली ब्लॉक के कन्हौली बैरबन्ना गाँव का रहने वाला राजू एक साधारण लेकिन भावुक लड़का था। वह अपने गाँव का सीधा-सादा युवक था, जिसे पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था, जितना कि पूजा की एक झलक पाने में। पूजा चतरा गाँव की रहने वाली थी, और दोनों गाँव पास-पास ही थे।
राजू के लिए पूजा सिर्फ एक लड़की नहीं, बल्कि उसके जीवन की सबसे खूबसूरत हकीकत थी। वह अक्सर सुबह 5 बजे बैरबन्ना पुल पर खड़ा रहता, बस पूजा को देखने के लिए। पूजा हर सुबह खजौली कोचिंग के लिए निकलती थी, और राजू का दिन तब तक शुरू नहीं होता जब तक वह उसे देख नहीं लेता।
वो कभी पूजा से बात नहीं करता था, बस दूर से देखता रहता। कई बार उसकी आँखों में एक सवाल उभरता, "क्या वह कभी मुझे भी देखेगी?" लेकिन पूजा अपने ही ख्यालों में मग्न रहती। राजू हर रोज़ ठानता कि आज वह उससे बात करेगा, लेकिन जब पूजा पास आती, उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता और शब्द गले में अटक जाते।
दिल की बात दिल में ही रह गई
वक़्त बीतता गया, दिन, हफ्ते, और फिर साल गुजर गए, लेकिन राजू की हिम्मत नहीं जुटी। वह हर रोज़ बस एक झलक देखकर खुश हो जाता।
फिर एक दिन अचानक राजू को पता चला कि खजौली में पढ़ने वाले एक लड़के ओम ने पूजा को प्रपोज कर दिया। ओम सीधा-सपाट लड़का था, उसने बिना हिचक पूजा के सामने अपने दिल की बात रख दी। पूजा ने कुछ देर सोचा, मुस्कुराई, और फिर ओम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
जब यह बात राजू को पता चली, तो उसका दिल टूट गया। वह ठगा-सा महसूस कर रहा था। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। जिसे वह इतनी शिद्दत से चाहता था, वह अब किसी और की हो चुकी थी।
राजू ने खुद को कोसा, "काश मैंने पहले कह दिया होता! काश मैं डरता नहीं!" लेकिन अब पछताने के अलावा कुछ नहीं बचा था।
खामोश मोहब्बत का दर्द
अब भी जब पूजा कोचिंग जाती, राजू उसी पुल पर खड़ा होता। लेकिन अब उसकी आँखों में पहले जैसी चमक नहीं थी। अब वह पूजा को देखकर मुस्कुराता नहीं था, बल्कि मन ही मन रोता था।
एक दिन उसका दोस्त रमेश बोला, "राजू, तूने कभी हिम्मत ही नहीं की, तो उसे कैसे पता चलता कि तू उसे चाहता है?"
राजू के पास कोई जवाब नहीं था। मोहब्बत सिर्फ महसूस करने से पूरी नहीं होती, उसे कहने की भी हिम्मत चाहिए। लेकिन राजू में वो हिम्मत कभी नहीं आई।
पूजा अब खुश थी, और राजू सिर्फ सोचता रह गया कि "क्या होता अगर मैं अपनी मोहब्बत का इज़हार कर देता?" शायद कहानी कुछ और होती। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
अधूरी कहानी, अधूरी मोहब्बत
समय बीतता गया, लेकिन राजू की मोहब्बत वहीं ठहर गई, उसी पुल पर, उसी सुबह के 5 बजे। वह अब भी रोज़ वहाँ जाता, लेकिन पूजा के लिए नहीं, बल्कि उन यादों के लिए जो अब भी उसके दिल में बसी थीं।
कुछ प्रेम कहानियाँ कभी पूरी नहीं होतीं, क्योंकि प्यार के साथ-साथ हिम्मत भी ज़रूरी होती है... और राजू वही हिम्मत नहीं कर पाया।