मैं और मेरे अहसास

सब्र कर हर सवेरा नई सुबह लेके आने वाला है l
बारहा दिल उम्मीदों से बार बार भरना चाहिए ll

कई बातें हैं जो जुबां से ब्यान नहीं होती है तो l
दिल की बात समज ने निगाहों को पढ़ना चाहिए ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111879211

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