मां के लाड़ले
बेटियाँ पापा की परी होंगी बेशक
मां के लाडले भी कमतर नहीं हैं
बेटियां पराई होती हैं तो कोई गम ना करे
बेटे भी घर रहने को वरदान ना पाते हैं
जरूरतें ,जिम्मेदारियां इस कदर हावी हैं उन पर
नई गर्लफ्रेंड बनाने को टाइम नहीं है
वालिदैन की दवाई बच्चो की जरूरत
बीवी की जिम्मेदारी काम बहुत है
खुद के लिए फुरसत ही नहीं किंतु
कोल्हू के बैल से वे खटते बहुत हैं
फिर भी कहते हैं लोग निकम्मे निठल्ले
और आवारा होते हैं लड़के मगर
अपने दुख में रोना उन्हे आता नहीं है