तेरे मुख पर ये व्यथा की छटाँ क्यूं…?
पराजय से तेरा मन व्यथित क्यूं....?
इस पराजय पर तू प्रहार कर…!
अनल-गगन, धरा-पवन…
सबको तू परास्त कर…!
तोड़कर सारी बेड़ियों को तू…
सशक्त बन…तू सशक्त बन…!
स्वयं पर तू विश्वास रख…
आगे बढ़े…तू आगे बढ़े…!
प्रण ले तू चित्कार कर…
विजयी भव...तू विजयी भव…!
-Ankita Gupta