मेरी माँ
मैं जानती हूं की तुम्हें पता है
मैं किस मनोस्थिति से गुजर रही हूं
तुम जहां रहती हो को जगह बहुत श्रेष्ठ है... तुम्हें जाते वक्त मुझे अपने साथ ले जाना चाहिए था
हां जानती हूं इतनी अच्छी बेटी नहीं हूं की हर जगह साथ ले जाओ पर जब तुम्हारे पैर दुखने लग जायेंगे ...जब चलते चलते तुम थक जाओगी...जैसे मैं थक गई हूं...तो कौन तुम्हारे पांव दबायेगा ? जैसे मैं दबाया करती थी।
हां माना की वहा अच्छे अच्छे पकवान मिलते होंगे...पर मेरे हाथ के खाने की याद तो तुम्हे आती होगी ना !
हां ठीक है ना कि मैं थोड़ी बदतमीज नकछिड़ी हूं...पर साथ ले जाती ...क्या बिगड़ जाता भला। गोद में ले कर तो जाना नहीं था न... पैदल पैदल ही चल लेती मैं तो अपनी आदतानुसार ।
अब जल्दी से गाड़ी भेज दो... वरना लिफ्ट ले के आना पड़ेगा तुम्हारे पास।
तुम्हारी अरुणा✍🏻