में हूं थोड़ी अलग सी
हर कहानी में खुशियां ढूंढती हूं,
में हूं एक उलझी हुई गजल ,
हर शेरों में खुद को लिखती हूं,
में हूं एक आजाद परिंदा,
खुले आसमान में उड़ना जानती हु ,
में हूं चंद्रमा सी शीतल ,
हर चांदनी में चमकना जानती हु,
मुझे पसंद है अपनो के साथ रहना ,
में प्रेम की धारा में बहती हूं ,
हा मे हूं थोड़ी अलग सी ,
हर पत्थर में मोती ढूंढती हूं,
मुझे समझना इतना आसान नहीं ,
में हूं एक उलझी हुई गजल ,
हर शेरों में खुद को लिखती हूं।

__✍️ Mehta Mansi

-Dr Mehta Mansi

Hindi Poem by Dr Mehta Mansi : 111864640

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