आओ मेरे जीवन में शिव

शिव से ही में रस जीवन,शिव जीवन का आधार
कैलाश वासी डमरूधर शिव की महिमा अपरंपार
शीश पे जिनके जटा मनोहर,है गंगा जी का वास
अंग में भस्म लगाए शिवजी,सकल जन की आस

वाहन नंदी बैल शिव का,गले में विषधर लिपटे
पशुपतिनाथ जिनके त्रिशूल में तीनों लोक सिमटे
बिना महलों के भी शिव हैं तीनों लोक के स्वामी
आदिशक्ति के स्वामी,अजेय,शिव हैं महिमाशाली

बचाने सारी वसुधा को,पी विष नीलकंठ कहाए
दे मनचाहा वरदान सभी को औघढ़ दानी कहाए
कामदेव की धृष्टता को खोल त्रिनेत्र भस्म किया
अखंड योगी शिव ने उमा का तप स्वीकार किया

भेदभाव से रहित शिव ने भस्मासुर को वर दिया
रावण शुक्राचार्य को भी भक्ति का अवसर दिया
लंका विजय से पूर्व पूजित,शंभू रामेश्वर कहलाए
कालजयी शिव भक्तों के महाकालेश्वर कहलाए

दक्ष घमंडी के यज्ञ का शिव भक्तों ने ध्वंस किया
ले सती की दग्ध देह,शिव ने ब्रह्मांड भ्रमण किया
आशुतोष वे जल्द प्रसन्न हों,भक्तों को देते वरदान
सबके दुखों को हरते शिव,वे करते कृपा अविराम।

(मौलिक कॉपीराइट रचना)

( आज महाशिवरात्रि पर मातृभारती के सभी पाठकों रचनाकारों और टीम मातृभारती को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। सभी पर भगवान शिव की कृपा हो।)

योगेन्द्र

Hindi Poem by Dr Yogendra Kumar Pandey : 111860390

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