गज़ल

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शौके जुनू का हाल क्या है कुछ न पूछिए,

ये बेवजह सवाल क्या है कुछ न पूछिए |

हम सागरों में डूबकर तिनके बटोरते ,

इस काम का मलाल क्या है ,कुछ न पूछिए |

दोतरफ़ा ज़िंदगी का कोई रास्ता मिले ,

पागल हुए हो हाल क्या है ,कुछ न पूछिए |

बहकी सी भीड़ में कहीं पागल न जाऊ मैं,

आईना बेमिसाल क्या है,कुछ न पूछिए |

लाशों के शहर में चली हूँ रस्म निभाने ,

जिंदा हूँ मैं ?ख्याल क्या है कुछ न पूछिए ||



डॉ. प्रणव भारती

Hindi Shayri by Pranava Bharti : 111858019
Rushil Dodiya 1 year ago

लोग कहते थे समंदर हूं मैं, और मेरी जेब में कतरा भी नही

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