फिर एक और नया साल क्यूं कहते हो ?
प्रत्येक दिन तो वही है फिर नया क्या है ?
वही सप्ताह वही महीने वही अंक वही नगीने।
परिवर्तन तो कुछ हुआ ही नहीं।
और तुम भी तो वही रहते हो।
अंक बदलने से तुम्हारी जिदंगी के मायने कैसे बदलते हैं ?
हां ये ज़रूर है कि तुमने इस साल का खोया पाया हिसाब बिठाने के लिए वर्ष का अंतिम दिन चुना हो।
उसमे अगर पाया हुआ तो जश्न से मन भरते हो।
और अगर कुछ खोया तो ज़ख्म हरा करते हो।
पूरे वर्ष भर क्या करते हो ऐसा , जो समय नही मिलता है मुस्कुराने का !
खुशियां मनाने का ! खुद से बात करने का खुद में डूब जाने का !
365 दिन होते है और इन दिनों का सर्वस्व तुम एक दिन में कैसे भर लेते हो ?
विचारणीय है !
जीवन तो तुम्हारा मौलिक अधिकार है जियो।
उसमे 1 दिन में ऐसा कौन सा सार तत्व है जो तुम जीना चाहते हो।
और सच्चाई तो यह है प्यारे।
की उस दिन का भी वही उपयोग है जो पहले के दिनों का था।
निरंतरता तो वही बनी है।
बस अंक का फेर बदल हुआ है।
तुमने जिससे आज तक बात नही किया उसको भी धीरे से एक संदेश चिपका रहे हो।
और कहते हो हैप्पी न्यू ईयर।
अभी उसने कदम भी नही रखा और तुमने उसको मनोरंजक घोषित कर दिया।
यह मानवीय अपबीती नही तो और क्या है ?
हां यह जरूर है की तुम सदा की भांति खुशी को व्यक्त करने के लिए उदासी छिपाते फिरते हो।
ईश्वर के नव वर्ष पर एक ओर धन्यवाद करते है और दूसरी ओर उसी प्रक्रिया को नकारत्मक सोच में पिरोते हो।
कामयानी (जयशंकर प्रसाद जी ) : कहती है कि विश्व सत्य है परंतु उसकी मूल्यता को परखने वाला सत्यवान नही हैं।
अमुक व्यक्ति को एक दूसरे का दुख समय दोष सब पता है फिर भी एक दूसरे को नव वर्ष की मुबारक बाद देते है गले लगाते है। और आभार प्रकट करते है।
मैं यह नहीं कहता हूं की यह सब एक दोष है। लेकिन
यह बहुत उचित होता अगर यह सच में होता तो।

कटु है परंतु सत्य है भी यही है।

#नव वर्ष मुबारक हो।

Hindi Motivational by Anand Tripathi : 111852195

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