रुको तो तुम को बताएं वो इतनी नाज़ुक हैं,
कली अकेले उठाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
तबीब ने कहा गर रंग गोरा रखना है,
तो चांदनी से बचाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो बादलों पे कमर सीधी रख के सोए,
किरन का तकिया बनाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो दो क़दम भी चले पानी पे तो छाले दिखे,
घटाएं गोद उठाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
पसीना आऐं तो दो तितलियां करीब आ कर
परों को सुर में हिलाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
हवाई बोसा परी ने दिया बना डिंपल,
ख़्याल जिस्म दबाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो गीत गाएं तो होंठों पे नील पड जाए,
सुखन पे पहरे बिठाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
जनाब कांटा नही पंखुड़ी चुभी है उन्हें,
घटा की पालकी लाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
कबूतरों से कराते हैं, आप जो जो काम,
वो तितलियों से कराएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
गवाही देने वो जाते तो हैं पर उनकी जगह,
कसम भी लोग उठाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो सांस लेते है तो उस से सांस चढ़ता है
सो रश्क़ कैसे दिखाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
बस इस दलील पे करते नही वो साल गिराह
की शमां कैसे बुझाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो सैर सुबह की करते है ख़्वाब में चल कर
वजन को सो के घटाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
कली को सूंघे तो खुश्बू से पेट भर जाए,
नहार मुंह यहीं खाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वजन घटाने का नुस्खा बताए कांटो को,
फिर उनको चल के दिखाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो धड़कनों की धमक से लरजने लगते है,
गले से कैसे लगाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
नज़ाकत ऐसी की जुगनू से हाथ जल जाए,
जले पे अब्र लगाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
हिना लगाए तो हाथ उनके भारी हो जाए
सो पांव पर ना लगाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो तिल के बोझ से बेहोश हो गए एक दिन
सहारा देके चलाएं, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
वो थक के चूर से हो जाते है खुदारा उन्हें
ख्याल में भी न लाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
परी ने प्यार से अंगड़ाई रोक दी उनकी
की आप टूट न जाए, वो इतनी नाज़ुक हैं…!!
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