निपुणता बांध खड़ी पग है,
चपलता बनी महाठग है।।
निराधार भयीं घड़ियां,
अननुरूप लगे,यो जग है।।
क्रमशः......✍️
#दर्पणकासच
#जिंदगी_है_कैसी_ये_पहेली
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111836110

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