खुशियाँ लिखूँ और बेतहाशा लिखूँ,
मैं ग़म लिखकर क्यूँ तमाशा लिखूँ,
छोड़ूँ मैं रोज़मर्रा के दर्द पे बहस करना,
स्याही से चमकती कोई उम्मीद कोई आशा लिखूँ,
पत्थर की इस दुनिया में, मैं कोई किरदार तराशा लिखूँ।

-Tasneem Kauser

Hindi Quotes by Tasneem Kauser : 111835324

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