प्यासा कौआ
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पंचतंत्र की कथा सुनाता
बच्चों सुन लो ध्यान लगाय
ज्ञान धर्म की बातें सुनना
शिक्षा कभी व्यर्थ ना जाय

कौआ एक बहुत प्यासा था
पानी को वह तरस रहा था
सूख गए सब ताल तलैया
नभ से आग बरस रहा था

एक खेत में घड़ा देख के
कौआ मन हर्षाया था
पर तल में पानी थोड़ा सा
देखके मन मुरझाया था

किया प्रयास बहुत कौवे ने
पर वह जल से दूर रहा
संकरा मुँह था घड़े का जिससे
वह काफी मजबूर रहा

कर प्रयास वह थका मगर
पर हिम्मत उसने ना हारी
जुटा फिर वह नव प्रयास में
तज के अपनी लाचारी

कंकड़ की ढेरी से कंकड़
एक एक कर वह लाया
कंकड़ के भरने से पानी
घड़े में ऊपर तक आया

पी कर मन भर वह पानी
कौआ खुद ही मुस्काया था
उसकी छोटी सी बुद्धि ने
उसका प्राण बचाया था

चाहे मुश्किल कैसी भी हो
संयम नहीं कभी खोना
कर प्रयास अंतिम दम तक
तुम कौवे सम ही सफल होना

पंचतंत्र की एक कहानी पर आधारित
राजकुमार कांदु

Hindi Poem by राज कुमार कांदु : 111828583

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