My Wonderful Poem . . !!

देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं..

सुबह की सैर में,
कभी चक्कर खा जाते है,
सारे मौहल्ले को पता है,
पर हमसे छुपाते है...

दिन प्रतिदिन अपनी,
खुराक घटाते हैं,
और तबियत ठीक होने की,
बात फ़ोन पे बताते है...

ढीली हो गए कपड़ों,
को टाइट करवाते है,
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं...!

किसी के देहांत की खबर,
सुन कर घबराते है,
और अपने परहेजों की,
संख्या बढ़ाते है,

हमारे मोटापे पे,
हिदायतों के ढेर लगाते है,
"रोज की वर्जिश" के,
फायदे गिनाते है,

‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत',
हर दफे बताते है,
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं..

हर साल बड़े शौक से,
अपने बैंक जाते है,
अपने जिन्दा होने का,
सबूत देकर हर्षाते है...

जरा सी बढी पेंशन पर,
फूले नहीं समाते है,
और FIXED DEPOSIT,
रिन्ऊ करते जाते है...

खुद के लिए नहीं,
हमारे लिए ही बचाते है,
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं...

चीज़ें रख के अब,
अक्सर भूल जाते है,
फिर उन्हें ढूँढने में,
सारा घर सर पे उठाते है...

और एक दूसरे को,
बात बात में हड़काते है,
पर एक दूजे से अलग,
भी नहीं रह पाते है...

एक ही किस्से को,
बार बार दोहराते है,
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं...

चश्में से भी अब,
ठीक से नहीं देख पाते है,
बीमारी में दवा लेने में,
नखरे दिखाते है...

एलोपैथी के बहुत सारे,
साइड इफ़ेक्ट बताते है,
और होमियोपैथी/आयुर्वेदिक
की ही रट लगाते है..

ज़रूरी ऑपरेशन को भी,
और आगे टलवाते है.
देखते ही देखते जवान
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं..

उड़द की दाल अब,
नहीं पचा पाते है,
लौकी तुरई और धुली मूंगदाल,
ही अधिकतर खाते है,

दांतों में अटके खाने को,
तिली से खुजलाते हैं,
पर डेंटिस्ट के पास,
जाने से कतराते हैं,

"काम चल तो रहा है",
की ही धुन लगाते है..
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते हैं..

हर त्यौहार पर हमारे,
आने की बाट देखते है,
अपने पुराने घर को,
नई दुल्हन सा चमकाते है..

हमारी पसंदीदा चीजों के,
ढेर लगाते है,
हर छोटी बड़ी फरमाईश,
पूरी करने के लिए,
माँ रसोई और पापा बाजार,
दौडे चले जाते है..

पोते-पोतियों से मिलने को,
कितने आंसू टपकाते है..
देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते है...

देखते ही देखते जवान,
*माँ-बाप* बूढ़े हो जाते है...

✍️🥀🌹👏👏👏👏👏🌹🥀✍️

-Rooh The Spiritual Power

Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111823909
Rekha Detroja 1 year ago

ખુબ સરસ. શબ્દ રચના. 👌👌ઘરડા. માં બાપ ની વ્યથા ને શબ્દોથી મહેસુસ. કરાવતી સુંદર. કાવ્ય રચના 👌👌🙏

Ravina 2 years ago

Very nice n true 👌👌👌

JIRARA 2 years ago

My parents did exactly the same, and mostly my wife does also the same, even she gulps insults from her relatives for good of her husband and children.

JIRARA 2 years ago

Exactly true, no less no more, you have described that ever wanted to do, you have done a great tribute to the parents, most or almost all the parents are like this, but only a few children realise this, others are too busy in their jobs and making money. You deserve kudos for writing so nicely and simple but very effective way, you seem to be a great literary writer.

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now