सन्नाट सा लग रहा है कोई सो गया क्या ?
बेगाना सा मुसाफ़िर हूं मैं खो गया क्या ?
ये दौलत , शोहरत , इज्जत सब दिखावा ही है मैं दामन लाउ तुम दोगे क्या ?
मेरी कमियां, गुस्ताखीय, की कस्ती के सवारी मैं खुद चढ़ जाऊ तुम हाथ दोगे क्या ?
दायरा ही नफ्ते रहोगे मेरे बदसुलुखी का मैं करने पर उतर जाऊ तुम रहोगे क्या ?

-Alone Soul

Hindi Poem by Alone Soul : 111819842
Pintu Bhatti 2 years ago

Apki voice me post kro Bhot hu bdiya he

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