पिता
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आज के संदर्भ में पिता,
नहीं रह गया केवल पिता।
बच्चों को ज़िंदगी जीना सिखाता,
एक शिक्षक है पिता।
ग़लत राह पर जाने से बचाता,
राह दिखाता, मार्गदर्शक है पिता।
एक मित्र की तरह साथ बैठकर,
सवालों के जवाब तलाशता,
दोस्त है पिता।
कंधे पर हाथ धर,
संबल बनता है पिता।
निराश बालक में संचार
आशा का करता, प्रेरक है पिता।
हर तरह के झंझावातों से,
सुरक्षित निकाल लाने वाला,
संरक्षक है पिता।
सही-ग़लत की पहचान कराने वाला,
नीर-क्षीर विवेकी है पिता।
बच्चों को मानसिक और शारीरिक,
शक्ति प्रदान करने वाला है पिता।
हर कदम पर साथ चलने वाला,
सहचर है पिता।
पालन-पोषण करने वाला,
पालक और पोषक है पिता।
पिता को कभी भी कम न आ़कें,
बालक का भाग्य-विधाता है पिता।।
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रचनाकार - प्रमिला कौशिक