मेरे प्यार की नहीं सीमा कोई
जैसे समुद्र की नहीं थाह कोई।
दिल की गहराइयों से है चाहा तुझे
ना लगा मेरे इश्क पर तू इल्जाम कोई।
बिना शर्त हार गए दिल तुझ पर
ना समझ इसे सौदेबाजी का खेल कोई।
तेरे इश्क के सजदे में हम झुकते हैं
बिन गुनाह झुकना है आसान कोई।
तेरी रुसवाइयों को हंस हंसकर सहते
कहीं और मिलेगा मुझसा महबूब कोई।
वो प्यार ही क्या जो सीमा में बांधा जाए
फूलों की खुशबू को सीमाओं में बांध पाया है कोई!!
-Saroj Prajapati