मैं और मेरे अह्सास

तेरा ज़िक्र मेरी रूह तक को हिला देता है l
तेरी फ़िक्र मेरी रूह तक को हिला देती है l

इस तरफ़ नाता जुड़ गया है जमनोमनं का l
तुझसे दूर होने का ख्याल मेरी जान लेती है l

कल क्या होगा मेरे जाने के बाद इस वास्ते l
तेरी लिए एक एक साँस सजोए समेटी है ll
१९-५-२०२२

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111806496
Uma Vaishnav 2 years ago

वाह वाह लाजवाब जी

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now