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नूर से फिर अंधेरा ये भर जाएगा
उसके आते ही चेहरा निखर जाएगा
आईने में कभी अपनी आँखें भी पढ़
इक नया अक्स तुझमें उतर जाएगा
छोड़ कर जाने वाला भी ग़मग़ीन था
याद हमको करेगा जिधर जाएगा
नींद में भी ना भूला है खुद को कोई
ना वो सूरज ही भूला किधर जाएगा
उठ के सजदे से कुछ अपने दिल से तो पूछ
नेकियाँ तू यहाँ कितनी कर जाएगा
आज़मा के कभी इश्क को देखना
इश्क भी अपनी हद से गुज़र जाएगा
मौत पीछे रही ज़िन्दगी से सदा
कारवां कैसे 'नीलम' बिखर जाएगा
- 'नीलम' 💎