हमने अपनी बातों से
प्रभात लिया,इतिहास लिया,
जब तक चलने को मन था
स्वर्णिम अपना इतिहास किया।

कुछ तो है इस मिट्टी में
जो गौरव का पर्याय बना,
जहाँ-जहाँ भी लेटा है मन
देवत्व भाव अटूट बना।

जिस तीर्थ पर होता हूँ
वह कुछ बोल अनमोल कहा
स्नेहभक्ति इस जीवन में
किसी कारण अराध्य हुआ।

* महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111803479
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

अति सुन्दर प्रस्तुति

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