टूट जायेगे तार साँसों के यूँ ही एक दिन ,
मैं खुद की समझ और तुम मेरे शब्दों मे ही उलझे रहना ।।
#भावहीनता_की_ओर
#आशा_उम्मीद_निराशा_से_परे

Hindi Shayri by Ghanshyam Pandey : 111802936

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now