तेरे घर की तस्वीर देख
सीढ़ियां चढ़ने लगा ,
मैं हवाओं को बदल
सुगंध में बहने लगा ,
पर्वतों के बहाने सही
ऊँचाइयों में जाने लगा,
आदमी की सच्चाई से
मन को समझाने लगा ,
अच्छाई और बुराई से
कहाँ-कहाँ मिलने लगा ,
मैं सत्यार्थ एक प्रकाश को
पल-पल चाहने लगा ।

* महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111796724

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