नाराज़गी क्यो इस कद्र,
बढ़ गई है आज कल?
ख़फ़ा हो क्यो इस कद्र,
हमसे किस बात पर?

रूठे हो जो हमसे यु,
कही चेन नही हमे।
लगता हैं मुजे क्यो?
ठहरे है हम तेरे लिए।

दोस्ती है प्यारी सी ,
दास्ताँ है यें न्यारी सी।
यादे बिखेरे मिलकर,
हम खूबसूरत सी।

अब मान भी जाओ,
गुस्सा ये छोड़ कर।
अब माफ़ भी कर दो,
मुस्कुराके थोड़ा सा।

✍✍👉...Devanshi joshi...

Hindi Poem by Devanshi Joshi : 111793415

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