होली यूक्रेन में
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होली आई रे हरजाई अग्नि बरसे
सुनाई देते सायरन।
पल पल दागे मिसाइल रशिया - 2
यूक्रेन हो रहा तबाह।
सुनाई - - -
कैसे मनाएँ हम होली खुशी संग - 2
कानों में आए जब कराह।
सुनाई देते सायरन।
हर ओर लपटें दीख रहीं हैं - 2
दहन होलिका सा हो रहा है।
मानव क्यूँ बन गया है दानव
होली खून की खेल रहा है।
जला एक शहर फिर दूजा
अभी यहाँ तो अभी वहाँ।
सुनाई - - -
नभ में उड़े गुलाल अनल का - 2
धुएँ के उठें हैं गुबार
सुनाई - -
अबकी कैसी आई रे होली
मन को हमरे न भाई होली।
अरे! कुछ तो करो जतन
सुनाई देते सायरन।
बम और मिसाइलों के बने हैं गुब्बारे - 2
दागें वो हम पर बिना विचारे।
आग के गोले बरसाएँ
भस्म होते शहर शहर।
देख रहे सब तमाशा
टूटा है देखो कैसा कहर।
दहशत में, हम सब हैं, यहाँ पर - 2
पहुँचें कैसे भी घर।
सुनाई देते सायरन।
प्रभु तेरी कैसी है ये माया?
कोई भी मदद को न आया
होली आई रे हरजाई कैसी होली
सुनाई देते सायरन।
धुन बाँसुरी की हुई तिरोहित - 2
रुदन हो गया गायन।
सुनाई देते सायरन।
कान्हा अब तो सुध ले लो तुम
बचा लो शेष दामन।
सुनाई देते सायरन
चमत्कार कुछ कर दो ऐसा - 2
युद्ध का हो अब समापन
बाँसुरी बने सायरन।
होली आई रे कन्हाई रंग बरसा
सुना दे ज़रा बाँसुरी।
सुनाई न दे सायरन
सुना दे ज़रा बाँसुरी।
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रचनाकार - प्रमिला कौशिक
रचनाकार शकील बदायूँनी जी से साभार एक पँक्ति - "होली आई रे कन्हाई रंग छलके, सुना दे ज़रा बाँसुरी" ।
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