रगों में ख़ून वही दिल वही जिगर है वही
वही ज़बाँ है मगर वो असर सख़ुन में नहीं ।

वही हवा वही कोयल वही पपीहा है
वही चमन है पर वो बाग़बाँ चमन में नहीं ।
बृज नारायण चकबस्त

Hindi Shayri by Rakesh Thakkar : 111780814

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