कहो! है कहां?,हमारी सहेली..
इस भोले से मन,की वो इक पहेली।
उलझ जाता हूँ मैं, सुलझाने में इसे...
प्रीत पागल पुरानी,मेरी छैल-छबीली।।कहो!....
तोड़ सब बंदिशें,बांहे खोले खड़ा,
मिलने पर ही हटे, ऐसे जिद पर अड़ा।
रीत भूला सभी,जो चली आई कभी,
ये कहानी मेरी है नयी और नवेली।।कहो!....
#जबउजालाहुआ
#ढूँढलाएँगे
#इंतजार_की_हद
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Story by सनातनी_जितेंद्र मन : 111779034

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