मेरी   रातों   की   नींद   उड़ाने   वाले
मेरी   सुबह   की  सलाम   ले  जाना।

खामोशियों   के  अनछुये   रिश्तों   से
इश्क़  का  तकिया  कलाम  ले  जाना।

जा रही  हो  तो  सुनो  इक बार सनम
साथ,अपने दिल का निज़ाम ले जाना।

तेरे  इशारों पे  नाचता  फिरता था जो
साथ अपने जोरू का गुलाम ले जाना।

-रामानुज दरिया

Hindi Poem by रामानुज दरिया : 111778760

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