शीर्षक: कभी तो

कभी तो कुछ ऐसे ख्याल आये
जिंदगी को कुछ हसीन पल मिल जाये
वो हँसे और हम खिलखिलाये
कभी तो....

गम को क्या कहे, हम सोचते रह गये
कम कर ते, तो ये और बढ़ जाये
पहेली है जिंदगी, कैसे समझा जाये
कभी तो....

कल के ख्याल में आज को ढूंढ रहे
साँसों को चाहतों का जहर पिला रहे
हम खुद कितने अनजान हो रहे
कभी तो.....

चाह स्वतन्त्र की कितनी भारी हो रही
मौत भी दबे कदमों से निहार रही
कटी पतंग की डोर फिसल रही
कभी तो....
✍️ कमल भंसाली

-Kamal Bhansali

Hindi Poem by Kamal Bhansali : 111776819
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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