*तमन्ना*
कुछ बात है तेरे आने में
वरना हम इँतजार कैसे करते ?
महफिल में तुम्हारी खूबसूरती
के हजारों चर्चे होते है
वरना दिल को बीमार कैसे करते?
कहते है खुशनुमां पल
की कोई हसीन तस्वीर हो
न भूलने वाली याद हो
वफ़ा की चाहत कोई चाँद हो
वरना हम वक्त योंही बर्बाद कैसे करते ?
दो लफ्जो में कह देते
तुम्हारी अदाए कत्ल से कम नहीं है
वरना हम चुप कैसे रहते ?
सुना था साथ तुम्हारा
किसी जन्नत से कोई कम नहीं है
वरना मरने की तमन्ना हम कैसे रखते ?
✍️कमल भंसाली
-Kamal Bhansali