ओ मेरे सूर्य

बचपन बीता शिक्षा, संस्कार
और संस्कृति की पहचान में।
यौवन बीता
सृजन और समाज के उत्थान में।
अब वृद्धावस्था में
अपने अनुभव समाज को बाँटो।
युवाओं को दिखलाओ
अपने अनुभवों से रास्ता।
संचालित करो
सेवा और परोपकार की गतिविधियाँ
आने वाली पीढियों के लिये
बन जाआ प्रेरणा।
तुम हो सूर्य के समान ऊर्जावान
अपनी ऊर्जा से
समाज में प्रकाश भर दो।
बचपन की शिक्षा
यौवन का सृजन
और वृद्धावस्था के अनुभव
जब इनका होगा संगम,
तब यह त्रिवेणी
करेगी राष्ट्र की प्रगति
सच हो जाएगा
भारत महान का सपना
युवाओं को सौंपकर देश की कमान
इसे बनाओ विश्व में महान।

Hindi Poem by Rajesh Maheshwari : 111773750

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now