इन आँखों को कुछ देखने की ज़रूरत ही नही,
हर ख़्वाब पूरे होते नही औऱ इन ख़्वाबों के सिवा कुछ दिखता भी नही।

परमार रोहिणीबा "राही"

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111771978

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