मैं और मेरे अह्सास

मखमली मुहब्बत का जतन तो कीजिए l
मन भर के प्यार का लुफ्त तो लीजिए ll

महफ़िल मे रोज साथ दोस्तों के पीते हो l
आज आँखों से नशीला जाम तो पीजिए ll

बाद मुद्दतों के मुरादों वाली रात आई है l
मुँह दिखाई मे हसी तोहफ़ा तो दीजिए ll

दुआ है, दस्तूर भी है, खुशी मौका भी है l
मिलन के इस लम्हों मे गले तो मीलिए ll

दुनिया और दुनिया वालों से हट के हो l
दिल ए मोमिन है कि फूल तरफ खीलीए ll

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111766963

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