#feelings #emotions

ऐ आँखों के सागर , अपने गमों की दास्तान यूँ ना छलका
गहरी सिसकियाँ भड़के , अपने माथे की शिकन और ना बड़ा

बहती हुई शाम में, अश्क बहाती शमा को यूँ ना एक टक देखता जा
जिंदगी का सारांश बना , अपनी मझधार में फंसी कश्ती को ओर यूँ ना सता

खता खाई है जो जिंदगी में , उसके दुख में यूँ ना और तड़पता जा
ये सुर्ख लाल लबों को सी के , अपने दुख का आलम और ना बड़ा

आगे बढ़ते कदमों को ,तेरी मजबूरियाँ दिखा यूँ ना कशमकश में डाल
हाथ मिला अपने हौसले के साथ , हामी मत दाल अपनी लाचारी के साथ
Deepti

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