मोम
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जीवन में मिल ही जाता है

हर किसी को किसी का सहारा

जगमगाने लगती है तब जिंदगी

आंखों में नए सपने लिए

सूरज की किरणें बन उजाला

छा जाती है मन में इस कदर

कि मन का मोम पिघल जाता है

सारे गिले-शिकवे आंसू में बह जाते हैं

बन के एक बुरा ख्बाब

प्यार में बस खुशियां नजर आती हैं

मन के मोम की बाती

फैला देती है चारों ओर उजाला

जिसमें दिखने लगता है प्रतिबिंब हमारा

लिए नया रूप - आकार

नए विश्वास के साथ

मोम पिघल कर भी ठोस है

और ठोस होकर भी नर्म

बस यही जीवन का सार ।

आभा दवे
मुंबई

Hindi Poem by Abha Dave : 111756755

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