जहां नहीं पहुंचता रवि वहां पहुंचता कवि !
जब हमारे पास कोरा कागज आता है ; तब हम असमंजस में आते है की हम लिखे क्या ? तब कुदरत और पूरी कायनात हमे कुछ तो ताकत देती जिससे हम अनोखी रचना करे। हम ( निमित मात्र बनके) ऐसी रचना पेश करते जो कभी विररस, करुणारस, प्रेमरस,देश भक्ति और अनगिनत रचनाएं! जो शब्द हम लिखते है,वो तब तक हमारे गुलाम है जबतक हमारे पास है और जब वो बाहर निकलते है तब हम उसके गुलाम हो जाते है ! इस दुनिया की तमाम रचनाएं किसी ना किसी से प्रेरित ही है। उदाहरण : हस्तीनापुर से महाभारत, कुरुक्षेत्र के रणभूमि से श्रीमद भगवद्गीता सभी किसी ना किसी से प्रेरित है।वो तो ठीक है बल्कि अयोध्या और लंका की घटना से तो प्रेरित होकर तीन लेखकों ने एक ही घटना पर अपनी रचना पेश की ; वाल्मिकी रामायण, काग रामायण और तुलसीदास लिखित रामायण। शब्दकोश एक ही है,पर ईश्वर की कृपा रचनाकार की रचना हमेशा अलग होती है ! आज एक राष्ट्र भक्त कवि,लेखक मनोज शुक्ला ( Manoj Muntashir sir ) की रचनाओं पर कॉपी करने की जूठी फेक न्यूज फैलाई है। और एक कच्छ , गुजरात ,भारत की कोयल को पाकिस्तानी बताई।लानत है !😔 मनोज शुक्ला गलत हो सकता है लेकिन राष्ट्रभक्त कवि लेखक मनोज शुक्ला कभी गलत नही! कभी कोई भी रचनाकार की रचना कॉपी नही होती है। मनोज सर पूरा देश आपकी साथ है। और जो ऐसी नकल करने की हरकत कोई नीच करता है तो इस विश्व में उससे बड़ा पापी कोई नई है !