वही झुला....वही चाय.. हर बार याद आता है.. ।जब भी मै,अकेली होती हुं,तो मेरा घर याद आता है। जब भी अपने आप से मिलना होता तेरा होना,मुझे अपने आप से मिलवता था वो दीवार वो खिड़की... मुझे नया सा कर जाता था.. मेरा घर क्या छूटा मुझसे मै ही छुट गयी अपने आप से मिलने के लिए मुझे मेरा घर बहोत याद आता है