कुछ पल भुला कर दुनियादारी हम इस कदर बेपरवाह हो गए,
आग लगी कहीं और थी मगर हवा वो हो गए।

जब चुभ गई दुनिया की बातें
तब फिर घायल हो गए,
बनकर शायर लिख डाली दास्तान अपनी
की फिर वही लोग हमारे लेखन के कायल हो गए।।

-श्रुति शर्मा

Hindi Shayri by Shruti Sharma : 111751469

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