क्या हुआ जो चलते चलते थक जाती हूँ मैं,,,,,कुछ पल भले रुक जाती हूँ,पर फिर से चलती हूँ मैं,,,,,माना सफर आसां नही होगा,कुछ मुश्किलें, कुछ दिक्कतें, इन सबसे भी सामना होगा,,,,,ठोकर भी लगेगी और लहू भी बहेगा,,,,,,पर बार बार गिर कर भी उठ खड़ी होउंगी मैं,,,,,ज़िन्दगी चाहे तू मुझ पर लाख सितम कर,तुझे तो हंस कर जिया है,हंस कर ही जियूंगी मैं,,,

Hindi Poem by Shree : 111751374

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