मैं और मेरे अह्सास

हर अदा निराली, हर बात पे मीठी सी मुस्कान दिया करना l
शर्मो हया के पर्दे मे भी वो मेरा सबके सामने चाल पुछती है।

बेपनाह बेइंतिहा मुहब्बत मे नादाँ दिल से मजबूर होकर l
इशारों ही इशारों मे भी वो मेरा सबके सामने हाल पुछती है।

दर्शिता

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111750434

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