अंधकार
सुबह हुई और जाने कहाँ
चला गया अंधकार।
चारों ओर फैल गया प्रकाश ।
अंधेरे को हराकर
विजयी होकर उजाला
जगमगाने लगा चारों ओर।
लेकिन जब उजाले में आ गया
विजय का अहंकार
तब फिर आ गया अंधकार
और निगल गया सारा प्रकाश ।
क्योंकि प्रकाश के लिये
जलना पडता है सूरज को
बल्ब को, दिये को,
या किसी और को।
लेकिन अंधकार के लिये
कोई नही जलता।
प्रकाश शाश्वत नही
शाश्वत है अंधकार।