शीर्षक : इँसानो में इँसान

इस दुनिया में सब कुछ देखा
प्यार को रोते, बेवफाई को हँसते देखा
जग को, अपने स्वार्थ के लिए
खुद के उशूलों को तोड़ते देखा
घर की सुंदरता को
गैर के नैनों में, खिलखिलाते देखा
यार क्या बताऊँ
क्या क्या नहीं देखा ?
अनहोनियों का जल्वा देखा
होनी को, तन्हाईयों में मरते देखा
झूठ के कफ़न में, हर सच को दफन होते देखा
⭐⭐⭐⭐⭐
आज उधार, कल नकद, ये कैसा है, व्यापार
कर्तव्य कुछ भी नहीं, सिर्फ चाहिये, अधिकार
देह को बन्धन नही, सिर्फ स्वतंत्रता ही, स्वीकार
सेवा कर रही व्यापार, धर्म के नाम पर, अँधकार
🌝🌝🌝🌝🌝
गुमाँ नहीं था, दुनिया इतनी तेजी से बदल जाएगी
जिंदगी के छोटे से सफर में, इतनी तेजी आ जायेगी
धीमे चलने वाले हमसफ़र को, रास्ते मे ही छोड़ देगी
अपनों के संग चुप्पी, परायों के संग खिलखिलायेगी
⛈⛈⛈⛈⛈
बड़ा अजीब हो गया, आज का इंसान
खुद से खुद को लेकर हो रहा है, परेशान
आवश्यकताओं को ही करता, सिर्फ तलाश
उपयोग कर हो जाता, खुद ही जीवन से निराश
🔥🔥🔥🔥🔥
शायद दुनिया की, ये तस्वीर अच्छी ही होगी
तेजी से बदलते रंगों की, लय कुछ और होगी
जिंदगी बाहर से मुस्करायेगी, भीतर से रोयेगी
न रहेगा कोई योगी सब बन जाएंगे, रोगी, भोगी
❄❄❄❄❄
ये कैसी डगर है, मेरे दोस्त
अपने डर से इंसान प्रशस्त
बाहरी निडरता में करता आज का गुजारा
फिर भी कहता कल देख लूँगा, आज है, तुम्हारा
भविष्य में आज तलाश करता, ये कैसा है, इँसान
जो भगवान का नाम लेकर, स्वयं बन जाता भगवान
सब कुछ रहे भले, पर नहीं रहेगा,अब इँसानो में इँसान
रचियता✍️कमल भंसाली

Hindi Poem by Kamal Bhansali : 111738760

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