शुभ बुधवार जय श्री गणेशाय
नमः- मंत्र आरती ब्रह्मदत्त
वक्रतुण्ड महाकायवक्रतुण्ड महाकायवक्रतुण्ड महाकायवक्रतुण्ड महाकाय

श्री गणेश
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
भावार्थ:
"हे हाथी के जैसे विशालकाय गणेश, जिनका
तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान है, सदा मेरे
" सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण करें"
🙏जय जय श्री गणेशाय नमः🙏 🙏माता पार्वती-ए- नमः🙏 ➖
🙏ॐ नमः शिवाय🙏 ➖➖ ➰ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़➰
➖श्री गणेश जी की आरती➖
➖ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ ➖
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जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
प्रस्तुतकर्ता ➖ ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

Hindi Religious by ब्रह्मदत्त उर्फटीटू त्यागी चमरी हापुड़ : 111738666

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