My Meaningful Poem…!!!
यारों ऊँचा उठने के
लिए पंखों की ज़रूरत
केवल परिंदों को ही पड़ती है
पर इन्सान तो जितना
सरल विनम्रता से झुकता है
उतना ही अधिक ऊपर उठता है
स्तर फिर चाहे शब्दों
का हो या कि हरकतों का
जितना निम्न स्वर उतना उचा पद
दरख़्त भी तो जड़ों से ग़र
जूड़े न रहे तो तूफ़ान 🌪 से
पल भर में तहशत-नहशत होते है
कश्तियाँ भी पतवार के
सहारे ही मिलों के सफ़र तय
कर लेती पर वक़्त रहते न सँभलें तो…!!!
प्रभु की पसंदीदा अदा भी
शाश्वत-दंडवत्-प्रणाम ही तो है
जो सच्चे दिल से किया पाया प्रभु-शरण।
✍️🥀🌿🌹🙏🙏🙏🌹🌿🥀✍️