यदि टूट चुकी ईश्वर की मूर्ति भी पूजा के लिए स्वीकार्य नहीं होती, क्योंकि वह खंडित हो चुकी है।
तो वह टूट चुका इंसान क्या करता है..
क्या वह स्वयं को स्वीकार करता है।
नहीं! वह त्याग देता है.. स्वयं को भी और इस असंवेदनशील संसार को भी।
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Hindi Thought by Roopanjali singh parmar : 111724279

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